Badi Bhen Ki Aatma
गर्ल्स हॉस्टल की तीसरी मंज़िल पर रूम नंबर 307 की लाइटें अक्सर पूरी रात जलती रहती थीं। इस कमरे में रिया और नेहा रहती थीं — कॉलेज की दो बेस्ट फ्रेंड्स। रिया को रात में नींद नहीं आती थी। उसे कुछ हफ़्तों से अजीब-अजीब सपने आ रहे थे। वो सपनों में एक लड़की को देखती जो हर बार उससे कहती — तू मेरी नींद में क्यों आ गई?”
रिया ने शुरुआत में इन सपनों को इग्नोर किया, पर धीरे-धीरे कुछ चीज़ें बदलने लगीं। उसके बेड के नीचे से अजीब-सी खराशों की आवाज़ें आती थीं, उसका तकिया अक्सर सुबह ज़मीन पर पड़ा मिलता था,और उसका चेहरा रात के बाद थका हुआ होता था और डर से भरा होता रहता था
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एक रात जब नेहा कुछ प्रोजेक्ट वर्क की वजह से देर तक जगी हुई थी, उसने देखा कि रिया सोते हुए जोर-जोर से कुछ बड़बड़ा रही है। वो धीरे से उठी और रिया को जगाने लगी, तभी रिया की आंखें खुलीं… लेकिन वो आंखें रिया की नहीं थीं।
उसकी आंखें पूरी काली थीं, पुतलियाँ गायब। रिया ने एकदम सपाट आवाज़ में कहा, उसे क्यों जगा दिया? अब तू भी नहीं बचेगी।”
नेहा डर के मारे पीछे हट गई। लेकिन अगले ही पल रिया ने आंखें बंद कर ली और फिर नॉर्मल हो गई। उसने कुछ भी याद होने से इनकार कर दिया।
अगली रात नेहा ने तय किया कि वो जागकर रिया पर नज़र रखेगी। उसने अपने फोन में कैमरा ऑन करके रिया के बेड की ओर रख दिया। रात के करीब 3:07 बजे कैमरे में कुछ अजीब रिकॉर्ड हुआ।
रिया अपने आप बिस्तर से उठी, उसकी चाल इंसानों जैसी नहीं थी —उसकी चाल जैसे कोई कठपुतली चल रही हो। उसने अलमारी खोली और वहाँ एक पुरानी, फटी हुई नीली फ्रॉक निकाली। उसे पहन कर वो आईने के सामने खड़ी हो गई और बोलने लगी — “नींद मेरी थी, तूने क्यों ली?”
नेहा का पूरा शरीर काँपने लगा। उसने तुरंत रिया को आवाज़ दी, लेकिन रिया ने उसकी तरफ देखा भी नहीं। उसकी आंखें फिर से काली हो गई थीं। तभी रिया ने अपना सिर एक तरफ झुका लिया और बोली, “अब तेरी बारी है, सो जा।”
नेहा चीखते हुए बाहर भागी, लेकिन हॉस्टल का दरवाज़ा लॉक था। और गार्ड की केबिन में कोई नहीं था। अंधेरे में अकेली, डर और घबराहट से पसीने-पसीने हुई वो सीढ़ियों के पास बैठी रही। और फिर… एक जानी-पहचानी आवाज़ उसके पीछे से आई — “सो जा नेहा, थक गई होगी तू…”
नेहा ने मुड़कर देखा — रिया वहीं खड़ी थी, लेकिन उसके चेहरे पर एक अजीब मुस्कान थी और उसके गालों से खून टपक रहा था। उसकी आंखों में अब सिर्फ अंधेरा था। फिर उसने जोर से चिल्लाकर कहा — “सो जा!!”
नेहा की आंखें झपकीं और फिर वो बेहोश हो गई।
अगली सुबह हॉस्टल में हड़कंप मच गया। रिया रूम में अकेली थी और आराम से सो रही थी। लेकिन नेहा हॉस्टल की बिल्डिंग के पीछे बेहोश मिली — उसकी हथेली में एक शब्द खुदा हुआ था —
“Sleep”
डॉक्टर्स ने बताया कि नेहा पर किसी ने नाखूनों से ये शब्द गुदा था। जब रिया से पूछा गया कि पिछली रात क्या हुआ, उसने कहा — “मुझे कुछ याद नहीं…
नेहा को उस दिन से नींद आने बंद हो गई। जितनी बार वो सोने की कोशिश करती, कोई लड़की उसके सपने में आती और बोलती — अब तू मेरी जगह लेगी।”
धीरे-धीरे नेहा ने बोलना बंद कर दिया, फिर खाना भी, और फिर एक दिन… उसने खुद को हॉस्टल की छत से नीचे गिरा दिया।
रिया का बर्ताव अब और अजीब हो गया था। वो रात भर फ्रॉक पहनकर आईने में खुद से बातें करती। हॉस्टल की दूसरी लड़कियां अब उस कमरे के पास भी नहीं जाती थीं।
एक रात, ठीक 3:07 पर, रिया फिर उठी। इस बार उसका चेहरा और भी भयानक लग रहा था। उसकी आँखों से खून टपक रहा था, और उसका शरीरअब पूरी तरह से कांप रहा था, जैसे किसी ने उसे बुरी तरह से जकड़ रखा हो। रिया आईने के सामने खड़ी हो गई, और बोलने लगी
अब अगली कौन है?”
और सबसे डरावनी बात?
जिस लड़की की आत्मा ने रिया को पकड़ा था, वो कोई और नहीं — रिया की बड़ी बहन थी, जो उसी हॉस्टल के उसी रूम में 3 साल पहले नींद में मर गई थी।
–उस रात, हॉस्टल में एक भयानक चीख गूंजी। जब बाकी लड़कियाँ कमरे में दौड़ कर पहुँचीं, तो उन्होंने देखा कि रिया आईने के सामने खड़ी थी, लेकिनअब उसकी जगह एक भयानक, कटी–फटी छाया खड़ी थी।वो कटी–फटी छाया, kisi और नहीं — बल्कि रिया की बड़ी बहन थी, जो उसी हॉस्टलके उसी रूम में 3 साल पहले नींद में मर गई थी।
कहानी का निष्कर्ष (Conclusion ):
रिया अब इस दुनिया में नहीं रही — कम से कम उस रूप में नहीं, जिसे सब जानते थे। उसकी रूह पर उसकी बड़ी बहन की पीड़ा, अधूरी नींद और बदला लेने की आग पूरी तरह हावी हो चुकी थी। हॉस्टल के रूम नंबर 307 को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया। लेकिन रात के 3:07 पर उस कमरे की लाइट आज भी कभी-कभी जल जाती है, और आईने के सामने कोई नीली फ्रॉक पहने खड़ा दिखाई देता है।
हॉस्टल की नई लड़कियाँ अक्सर सपनों में एक अजीब-सी लड़की को देखती हैं, जो बस एक ही बात कहती है —
नींद मेरी थी… अब तेरी बारी है।”
और इस बार, वो किसे चुनेगी — कोई नहीं जानता।
क्योंकि कुछ नींदें… कभी पूरी नहीं होतीं।