New Scary Stories Stories एक अनजानी यात्रा Horror Stories New Scary Stories Series 12

एक अनजानी यात्रा Horror Stories New Scary Stories Series 12

एक अनजानी यात्रा Horror Stories New Scary Stories Series 12 post thumbnail image

 

एक अनजानी यात्रा

साल 2016 की बात है। मैं, आरव, एक स्वतंत्र फोटोग्राफर हूं जो भारत के दूरदराज़ गांवों की संस्कृति और जीवनशैली को कैमरे में कैद करता हूं। एक दिन मुझे एक रहस्यमयी गांव के बारे में पता चला — *कर्णगांव*, जो उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में बसा है। बताया गया कि वहां की वास्तु, परंपराएं और जंगल बेहद रहस्यमयी और अद्भुत हैं, लेकिन कोई वहां ज्यादा देर नहीं रुकता।

स्थानीय लोग कहते थे कि वहां “कुछ है” — कुछ जो दिखता नहीं, पर महसूस होता है।मुझे ऐसे ही स्थानों की तलाश रहती थी। मैंने तय किया कि मैं खुद जाकर इस गांव को देखूंगा और उसकी तस्वीरें खींचूंगा।मैं देहरादून से बस पकड़कर टिहरी और फिर वहां से जीप लेकर कर्णगांव पहुंचा। रास्ता बहुत दुर्गम था। गांव पहाड़ियों के बीच एक छोटी सी घाटी में बसा था, चारों ओर घना जंगल और अजीब सी चुप्पी।गांव में कुल 30-35 घर थे। कुछ लोग खेतों में काम कर रहे थे, कुछ बुज़ुर्ग चौपाल पर बैठे थे। लेकिन बच्चों की कोई चहल-पहल नहीं दिखी। अजीब बात थी — सबके चेहरे भावशून्य थे, जैसे किसी डर ने उनकी आत्मा चुरा ली हो।

एक बुज़ुर्ग ने मुझे चेतावनी दी — “बेटा, तस्वीरें खींचनी हों तो सूरज ढलने से पहले ही निकल जाना। रात को यहां कुछ अच्छा नहीं होता।”मैंने हँसते हुए टाल दिया, “मैं बस रातभर रुककर सुबह निकल जाऊँगा। कोई चिंता की बात नहीं।”उन्होंने आंखों में चिंता लिए सिर्फ इतना कहा — “सावधान रहना, परछाइयां देखने की कोशिश मत करना।”गांव में कोई होटल नहीं था, इसलिए मुझे एक खाली मकान में ठहरने की व्यवस्था की गई — पुराना, टूटा-फूटा मकान। लेकिन चलो, फोटो के लिए रिस्क तो बनता है।

रात को जब मैं कैमरा साफ कर रहा था, तो अचानक खिड़की के बाहर किसी के चलने की आहट आई। मैंने झाँक कर देखा — पर कोई नहीं था। फिर दोबारा आवाज़ आई, जैसे कोई ज़मीन पर सरसराते हुए चल रहा हो।मैंने बाहर निकल कर देखा — एक लंबा साया, मानवाकार, मगर चेहरे के बिना। वो मेरी ओर देखकर खड़ा रहा… फिर जंगल की ओर चला गया।मैं डर के मारे कमरे में भाग आया और दरवाज़ा बंद कर लिया।

सुबह गांव के लोगों से इसका ज़िक्र किया, तो सब चुप हो गए। एक महिला बोली — “वो ‘छायाएं’ हैं। हर रात आती हैं। अगर उनका पीछा करो, तो फिर वापस नहीं आते।”फिर मुझे पता चला कि पिछले 10 वर्षों में गांव के 15 लोग लापता हो चुके हैं — सब रात में।मुझे लगा कि ये अंधविश्वास है, लेकिन मेरे कैमरे में एक फोटो दिखी — एक फोटो जो मैंने खिड़की से खींची थी। उसमें एक अजीब, लंबा, धुंधला साया दिख रहा था — उसकी आंखें नहीं थीं, लेकिन कैमरे की ओर देख रहा था।अब मेरा मन भय से भर गया।

मैंने गांव के बाहर के जंगल की कुछ तस्वीरें लेनी चाहीं। जैसे ही मैं अंदर गया, हवा भारी लगने लगी। पेड़ झुके से लगे, जैसे कुछ छिपा रहे हों। तभी मुझे फिर वो साया दिखा — इस बार उसके साथ और तीन परछाइयाँ थीं।उन्होंने मुझे देखा, और फिर एक आवाज़ आई — मेरे कानों में गूंजती हुई, पर कहीं से नहीं आ रही थी: “वापस जाओ। यह तुम्हारी जगह नहीं है।”मैं डर के मारे उल्टे पाँव भागा। लेकिन रास्ता जैसे गायब हो गया था। जो रास्ता मैं देखता था, वो घूम कर वहीं वापस लाता।

अचानक मुझे एक लड़की दिखी — 10-12 साल की। उसने सफेद फ्रॉक पहन रखी थी और आंखें काली थीं, पूरी काली। उसने कहा — “तुमने उन्हें देख लिया, अब तुम नहीं जा सकते।किसी तरह मुझे रास्ता मिला और मैं भाग कर गांव लौटा। वहां के बुजुर्ग पंडित हरिदत्त ने मुझे अपने घर बुलाया। उन्होंने एक प्राचीन किताब निकाली और बताया:“यह गांव पहले बहुत समृद्ध था। लेकिन सौ साल पहले एक साधु ने यहां तंत्र साधना की। उसने मृत्यु को जीतने की कोशिश की — छायाओं से बात करने लगा। एक रात उसकी साधना सफल हो गई — वो मरा नहीं, बस ‘परछाई’ बन गया।”

“अब वो और उसकी छायाएं गांव के हर कोने में भटकती हैं, रात को। जो भी उन्हें देखता है, वो या तो पागल हो जाता है, या गायब।”तुमने उन्हें देख लिया है आरव। अब सिर्फ एक उपाय है — ‘छाया व्रत’।”रात को पंडित जी ने मुझे एक त्रिकोण आकृति के अंदर बैठने को कहा — बीच में एक दीपक जलाया गया। चारों ओर राख की लकीरें और कुछ अजीब मंत्र।

मंत्रोच्चार शुरू होते ही कमरा कांपने लगा। खिड़कियां अपने आप खुल गईं और फिर अंधकार फैल गया।वो साये आए — चारों ओर खड़े। मैं अपनी जगह से हिल नहीं सका।एक गूंजती हुई आवाज़ आई — “हमें देख लिया, अब जीवन हमारा है।”

तभी पंडित जी ने राख उठाकर मेरे ऊपर फेंकी और कहा — “तेरा जीवन ब्रह्म की शरण में है! तू पवित्र अग्नि में बैठा है, तुझ तक छाया नहीं पहुंच सकती!”साया चिल्लाए, कमरे में आग लग गई, और एक जोरदार गड़गड़ाहट के बाद सब शांत।

निष्कर्ष (Conclusion)

सुबह मेरी आंख खुली तो मैं मंदिर के अंदर था। पंडित जी घायल थे, पर जीवित। उन्होंने कहा — “तू बच गया, लेकिन अब कभी लौटना मत।”मैं गांव से निकल गया, और दोबारा कभी वहां नहीं गया।आज भी, जब मैं उन तस्वीरों को देखता हूं, तो एक तस्वीर में वो लड़की दिखती है — वही सफेद फ्रॉक वाली, काली आंखों वाली। हर बार वो थोड़ा और पास दिखती है।मैंने वो कैमरा जला दिया, लेकिन उसकी परछाईं आज भी कभी-कभी सपनों में आ जाती है।कर्णगांव आज भी वहीं है… पर वहां अब कोई नहीं रहता।

शिक्षा (Moral):

हर रहस्य को जानना जरूरी नहीं। कुछ चीजें समय और प्रकृति से परे होती हैं। जब तक इंसान अपनी सीमाओं में है, तब तक सुरक्षित है। पर जब वो अंधकार में झांकने की कोशिश करता है, तो कभी-कभी अंधकार भी उसे देख लेता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post

Bhootiya Lift / true horror stories/horror stories in hindi

Bhootiya Lift / true horror stories/New Scary Stories Series 2Bhootiya Lift / true horror stories/New Scary Stories Series 2

Bhootiya Lift / true horror stories/horror stories in hindi रॉन एक बहुत बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी का मार्केटिंग हेड था। अच्छी सैलरी होने के साथ साथ उसकी जॉब में काफी ट्रैवेल

लिफ्ट मांगती चूड़ैल

लिफ्ट मांगती चूड़ैल New Scary Stories Series 10लिफ्ट मांगती चूड़ैल New Scary Stories Series 10

                 लिफ्ट मांगती चूड़ैल यह कहानी उस समय की है जब मैं अपने परिवार के साथ अपने दादी-नाना के घर छुट्टियाँ मनाने गया

The Nun Real Full Story | Horror Stories in Hindi | डरावनी कहानी |

The Nun Real Full Story Horror Stories in Hindi डरावनी कहानीThe Nun Real Full Story Horror Stories in Hindi डरावनी कहानी

The Nun Real Full Story | Horror Stories in Hindi | डरावनी कहानी | गॉड एंड्स हियर यानी भगवान यहाँ खत्म होता है। यही लिखा था एबी के काटा मोनास्ट्री