Maut ka Badle Maut
यह कहानी है बनारस में रहने वाली अंजलि की। अंजलि जब सिर्फ 7 साल की थी। उस दिन शनिवार अमावस्या का दिन था तो इसलिए अंजलि अपने परिवार के साथ काल भैरव मंदिर दर्शन करने गई थी। अंजलि मंदिर में जाते ही इतनी खो गई। कि उसे पता ही नहीं चला कि कब उसके परिवार वाले वापस चले गए। मंदिर के पुजारी को अचानक किसी जरूरी काम से बाहर जाना पड़ा और उन्हें ये नहीं पता था कि।
अंजलि अंदर है। उन्होंने मंदिर का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया। थोड़ी ही देर में अंधेरा छा गया और रात हो गई। मंदिर के अंदर अंजलि अकेली थी। तभी मंदिर के दरवाजे से आर पार होकर कुछ परछाइयां अंदर आने लगी। देखते ही देखते एक भीड़ जमा हो गई। ये लोग आम लोग नहीं थे। ये सब आत्माएं थी। अंजलि डरते हुए मंदिर के कोने में झुक गई और उन्हें देखने लगी। तभी उसने देखा कि ये आत्माएं कालभैरव की मूर्ति के सामने बैठकर पूजा कर रही है।
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और रो रही हैं। ऐसा माना जाता है कि शनिवार अमावस्या की रात काल भैरव के मंदिर में एक विशेष पूजा होती है जिसमें आत्माएं खुद आकर हिस्सा लेती हैं। वह आत्माय जो अपनी मुक्ति की आशा में भटक रही होती हैं। अंजलि ने इस तरह की कहानियों पहले सुनी थीं लेकिन आज वो सब अपनी आँखों से देख रही थी तभी उसमें से। एक आत्मा ने अंजलि को देख लिया और गुस्से से उसकी तरफ खोने लगा। अंजलि डर के मारे कांप रही थी लेकिन जब उसने साहस करके उस आत्मा से
उसकी पीड़ा पूछी तो वो आत्मा शांत हो गई। धीरे धीरे अंजलि ने हरात्मा से बात की और तब उसे लगा कि शायद यही उसका उद्देश्य है आत्माओं को मुक्ति दिलाना। उसे लगा कि ये भगवान काल भैरव का वरदान है। जैसे जैसे अंजलि बढ़ी हुई उसने अपनी इस शक्ति का उपयोग उन भट की आत्माओं को मोक्ष दिलाने में किया। इस शक्ति ने। उसे समाज से दूर कर दिया। उसके अपने ही परिवार ने उसे घर से निकाल दिया और अब तुलसी घाट के पास स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर में रहने लगी थी।
1 दिन वहीं पर नीता सिंह अपने बेटे आरव सिंह को लेकर अंजलि के पास आई। अंजलि ने जैसे ही आरव को देखा उसे कुछ महसूस हुआ। उसने उसकी मदद करनी जरूरी समझी। अअरव् अपने परिवार के साथ बनारस की विलास हवेली में रहता था। वो बहुत पुरानी पुष्टैनी हवेली जिसमें धन दौलत तो थी लेकिन सैकड़ों रहस्य भी छुपे हुए थे। एक रात। आरव गहरी नींद में सो रहा था। करवट बदलते हुए उसे एक सपना आया कि एक औरत शादी के लाल साड़ी पहने उसकी छाती पर बैठी हुई है और उसका गला दबा रही है।
डर के मारे जब आरव की आंख खुली तो उसने अपने बैडरूम के दरवाजे पर वहीं औरत खड़ी नजर आई। थोड़ी देर में वो औरत बाहर चली गई और आरव उसका पीछा करते हुए। वो भी पार चला गया लेकिन आरव को वहाँ कोई नहीं दिखा। फिर उसकी नजर शीशे पर गई, जिसमें कई औरत शादी के चौड़े में नजर आ रही थी। जैसे वो सब के सब। मृत दुल्हनें हो, पर ऊपर की सीढ़ी से किसी के रोने की आवाज़ आ रही थी। वह वही लाल साड़ी पहनी औरत बैठी थी। जब आरव उसके पास गया तो उसके बाल।
उसके मुँह पर गिरे हुए थे और उसको देख कर आरव हिल गया। अगली सुबह डर के मारे आरव कांप रहा था। उसकी माँ उसे फिर से अंजलि के पास ले गई। अंजलि को देखते ही। नेता समझ गई कि यही लड़की आरव की जिंदगी बदल सकती है। उन्होंने अंजलि और आरव की शादी करवा दी। शादी के बाद अंजलि को विलास हवेली लाया गया। पर अंजलि को इस बात का अंदाजा नहीं था कि इस हवेली में कितने सारे रहस्य और आत्मा उसका इंतजार कर रही थी। शादी की पहली रात अअरव ने अंजलि से साफ कह दिया कि।
उसने यह शादी सिर्फ अपनी माँ के कहने पर ही करी है। अंजलि को बुरा तो लगा लेकिन उसे यकीन था कि वो समय के साथ आरव का दिल जीत लेगी। उस रात। ज्वंजली पानी पीने के लिए उठी और जब वो वापस लौटी तो उसने देखा कि अअरव के बिस्तर के ऊपर एक लड़की हवा में तैर रही है। अंजलि ने कहा, तुम कौन हो मेरे पति से? दूर रहो तब उस आत्मा ने कहा, मुझे देख सकती है क्या? और अंजलि ने उसे भगवान काल भैरव से मिले वरदान के बारे में बताया। आत्मा रोने लगी लेकिन।
तभी आरव की आंख खुल गई और बोला तुम किस्से बात कर रही हो, आत्मा गायब हो गई। अंजलि उसे ढूंढ़ते ढूंढ़ते हवेली के एक बंद कमरे तक पहुँच गई। वहीं अंदर। शादी के चौड़े में खड़ी कहीं हत्मा उल्लू की तरह देख रही थी। उसमें वो लड़की भी थी जो अंजलि के बैडरूम में आई थी। उसने बताया कि उसकी शादी आरव से होने वाली थी। पर। आरव ने ही उसे मार दिया। उस आत्मा ने ये भी बताया कि अब वो छवि मुक्त हो सकती है जब वो आरव को मार दे। अब सवाल ये है क्या अंजलि अपने पति की रक्षा करेगी?
या उसकी आत्मा को मुक्ति दिलाएगी? क्या सच में आरव दोषी है या कोई और छुपा हुआ रहस्य है तो गाइस अगर आपको पता है सच क्या है तो प्लीज़ कमेंट में बताइए।
Conclusion of the Story: “विलास हवेली का रहस्य”
अंजलि, जो बचपन से ही आत्माओं को महसूस करने और उनसे संवाद करने की शक्ति रखती थी, अब एक ऐसे मुकाम पर पहुँच चुकी थी जहाँ उसे अपने पति आरव और एक भटकी आत्मा — कविता — के बीच निर्णय लेना था।
लेकिन अंजलि ने फैसला किया कि बिना सच्चाई जाने न तो वह आत्मा को मोक्ष देगी, न अपने पति पर आँख मूँदकर भरोसा करेगी।
सच्चाई का उजाला
अंजलि ने हवेली की पुरानी तहों को खंगाला — पुराने कमरे, छुपे हुए दस्तावेज़, और एक कुएं के पास छिपी हुई एक पुरानी डायरी — जिससे सामने आया कि कविता की मौत एक हादसा नहीं थी।
वास्तव में कविता की हत्या आरव ने नहीं, बल्कि उसके चाचा (ताऊजी)ने की थी, ताकि वह हवेली और संपत्ति को हड़प सके।
कविता की आत्मा आरव को ही दोषी मान बैठी थी, क्योंकि हत्या उसी के विवाह से पहले हुई थी।
मुक्ति और माफ़ी
जब अंजलि ने कविता को पूरी सच्चाई बताई, तो उसका क्रोध आँसुओं में बदल गया।
“अब मैं मुक्त हो सकती हूँ,” कविता ने कहा, और धीरे-धीरे उसकी आत्मा एक दिव्य प्रकाश में विलीन हो गई।
नया आरंभ
अब आरव ने भी अंजलि की शक्ति और उसकी सच्चाई की भावना को समझा।
वह उससे पहले तो डरता था, लेकिन अब उसके प्रति श्रद्धा और प्रेम महसूस करने लगा।
अंजलि और आरव ने मिलकर हवेली को एक मंदिर और आश्रय में बदल दिया — जहाँ भटकी आत्माएं शांति और मोक्ष पा सकें।
अंतिम संदेश:
“सच्चाई, श्रद्धा और करुणा — ये तीनों मिलकर किसी भी अंधकार को प्रकाश में बदल सकते हैं।”कभी-कभी भूत हमें डराने नहीं, अपनी कहानी सुनाने आते हैं।”