खूनी राखी True Horror Story
रात का समय था और पुराने घर के अंदर सिर्फ एक ही रोशनी थी — एक दिया, जो कभी बुझ जाता, कभी जल उठता…अनाया एक पुराने टेबल के सामने बैठी थी। उसकी आंखों में आंसू थे, पर हाथों में एक राखी… और दिल में एक उम्मीद।उसने धीरे से राखी उठाई और खुद से कहा —”भाई… तुम आओगे ना? तुमने वादा किया था… कि चाहे कुछ भी हो, तुम मुझे हर रक्षाबंधन पर मिलने आओगे।”घड़ी ने रात के 12 बजाए।एक तेज़ झोंका आया… खिड़की अपने आप खुल गई…दिया बुझ गया… और एक आवाज़ गूंजी —
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“दी… मैं आ गया।”अनाया ने धीरे से अपनी आंखें उठाईं… और देखा — उसके सामने आरव खड़ा था। वही आरव! उसका भाई… जो दो साल पहले मर चुका था।आरव बिल्कुल वैसे ही दिख रहा था — पुराने कपड़े, वही मुस्कान।आरव ने कुछ नहीं कहा… बस अपने हाथ आगे बढ़ा दिए।अनाया की आंखों से आंसू बह निकले।”भाई… तुम आ गए… तुम्हें पता है ना, तुम्हारे बिना मेरा दिल नहीं लगता। हर साल तुम्हारा इंतज़ार करती हूं…”उसने राखी उठाई और खुशी से आरव की कलाई पर बांधने लगी।पर जैसे ही राखी बांधी… अनाया के हाथ पर खून लग गया।
उसने डर के मारे पीछे हट कर देखा — आरव की कलाई से खून टपक रहा था।उसकी आंखें धीरे-धीरे सफेद हो रही थीं… उसका चेहरा सूखने लगा था।”भाई… तुम्हारे हाथ से खून…?”आरव की मुस्कान खत्म हो गई।उसकी आवाज़ भयावह हो गई —
“दी… तुम्हें याद है ना… मेरी मौत का असली राज़?”अनाया का दिल तेज़ धड़कने लगा। उसके सामने दो साल पहले का वो दिन ताज़ा हो गया…जब आरव तालाब के पास खेल रहा था।आरव ने उसका पसंदीदा खिलौना तोड़ दिया था।गुस्से में अनाया ने उसे ज़ोर से धक्का दिया… और आरव पानी में गिर गया।आरव चिल्ला रहा था —
“दी… बचाओ!”पर अनाया सदमे में खड़ी रही… और कुछ ही पलों में आरव डूब गया।अब आरव की आवाज़ गूंजी —”दी… मैं हर साल आता था… तुम मुझे राखी बांधती थीं… और मैं कुछ नहीं कहता था।पर इस बार… मैं अपनी राखी साथ ले जाऊंगा।”अचानक अनाया की कलाई पर भी एक राखी बंधने लगी — बिना किसी के बांधे।धागे का सफेद रंग लाल हो गया… जैसे खून में भीग रहा हो।अनाया चीख उठी —”भाई… रुक जाओ! मुझे माफ कर दो!”आरव की आंखों में लाल गुस्सा भर आया।उसकी आवाज़ डरावनी गूंजने लगी —
“जब बहन ही भाई का खून करे… तो रक्षा का फ़र्ज़ कौन निभाएगा?”धागा कसने लगा… नसों पर काट सा महसूस होने लगा।
अनाया चीख रही थी… लेकिन उसकी आवाज़ बाहर नहीं आ रही थी।और कुछ ही पल में… उसकी सांसें थम गईं।उसकी आंखें पलट गईं… और वह ज़मीन पर गिर पड़ी।आरव का भूत शांत हो गया।धीरे-धीरे उसका चेहरा सामान्य होने लगा… जैसे वह जीवित हो।
उसने अनाया की ओर देखा… और मुस्कुरा दिया।ज़मीन पर अनाया की लाश पड़ी थी… और घर में सिर्फ सन्नाटा था।दिया दोबारा जल उठा, लेकिन अब उसकी लौ लाल थी — जैसे खून से भरी हो।बाहर अब भी आंधी चल रही थी… लेकिन घर के अंदर सब ठहर गया था।
अब आरव के भूत को मुक्ति मिल चुकी थी… और वह चला गया था।पर अनाया की आंखें दोबारा खुल गई थीं…पर अब वह अनाया नहीं थी… उसकी आंखें सफेद थीं… मुस्कान भयावह।उसकी राखी अब भी कलाई पर बंधी थी, लेकिन धागा अब लोहे जैसा लग रहा था — काला, तीखा, और ज़ंजीर जैसा।आरव ने घबरा कर कहा —”दी?”अनाया की आवाज़ आई, पर वह आवाज़ उसकी नहीं थी उसमें दर्द था… बदला था… और अंधकार था।”भाई… अब मेरी बारी है…”आरव पीछे हटने लगा।हर कदम पर उसके आसपास की
चीज़ें गिरने लगीं —फोटो फ्रेम टूट गए, दीवार पर दरारें पड़ गईं,और एक पुराना झूला अपने आप झूलने लगा।अनाया हवा में उठ गई —जैसे कोई और शक्ति उसे चला रही हो।उसके चेहरे पर एक साया था…किसी तीसरे का।आरव ने डरते हुए पूछा —”तुम… अनाया हो न?”एक शब्द गूंजा —”अनाया तो मर चुकी है… अब सिर्फ बदला बाकी है।”घर के अंदर से एक तीखी चीख़ आई…फिर सब कुछ चुप हो गया।अगली सुबह लोगों ने सुना — वो पुराना घर फिर से खाली था।लेकिन हर रक्षाबंधन की रात उस घर में एक दिया जलता है…और दो आवाज़ें सुनाई देती हैं —
**“दी…”**
**“…भाई…”**
कहानी का निष्कर्ष (Conclusion):
“**खूनी राखी**” एक डरावनी और रहस्यमयी कहानी है जो भाई-बहन के रिश्ते के बीच छुपे गहरे राज़ और बदले की भावना को दर्शाती है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि कभी-कभी रिश्तों में विश्वास और वचन का उल्लंघन खौ़फनाक परिणाम ला सकता है। राखी, जो आमतौर पर प्यार और सुरक्षा का प्रतीक मानी जाती है, यहां बदले की एक खौ़फनाक निशानी बन जाती है।
कहानी का अंत रहस्यपूर्ण और दिल दहला देने वाला है, जिसमें आत्मा की मुक्ति और बदला एक अजीब सी त्रासदी का रूप धारण करते हैं। यह कहानी न सिर्फ डर पैदा करती है, बल्कि हमें रिश्तों की जटिलताओं और उनके परिणामों पर भी सोचने पर मजबूर करती है।