New Scary Stories Stories Kabristan ki budhiya horror stories horror short movie New Scary Stories Series 21

Kabristan ki budhiya horror stories horror short movie New Scary Stories Series 21

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Kabristan ki budhiya horror stories horror short movie

सौरभ अपनी बाइक से अपने गांव लौट रहा था। शहर में नौकरी करने के बाद वह लंबे समय बाद घर जा रहा था। रास्ता सुनसान था। और सड़क के दोनों ओर बड़े बड़े पेड़ लगे थे, जो रात में डरावने लग रहे थे। वह गांव के पास पहुंचा। उसे याद आया कि मुख्य सड़क का काम चल रहा था। और उसे पुराने रास्ते से जाना पड़ेगा जो कब्रिस्तान के पास से होकर गुजरता था। इस रास्ते से जाने का मन तो नहीं था लेकिन और कोई विकल्प भी नहीं था।

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वह धीरे धीरे बाइक चलाने लगा। जैसे ही वह कब्रिस्तान के पास पहुंचा उसकी बाइक अचानक बंद हो गई। उसने कई बार कोशिश की, लेकिन बाइक स्टार्ट नहीं हुई। वह परेशान होकर इधर उधर देखने लगा। तभी उसकी नजर एक बूढ़ी औरत पर पड़ी जो सफेद साड़ी पैनी कब्रिस्तान के गेट के पास खड़ी थी। औरत की आँखें गहरी थी और उसका चेहरा भाव ही था। सौरभ को थोड़ा अजीब लगा, लेकिन उसने हिम्मत जुटा कर पूछा अम्मा?

इतनी रात में यहाँ क्या कर रही हो? बूढ़ी औरत ने धीरे से कहा बेटा मुझे गांव जाना है, क्या तुम मुझे छोड़ दोगे? सोरख को अजीब तो लगा लेकिन। वह अकेला था, कोई और रास्ता नहीं था। उसने सोचा यह गांव की ही कोई बुढ़िया औरत होगी। मैं इसे छोड़ दूं तो अच्छा रहेगा। अच्छा मत बैठ जाओ। बूढ़ी औरत चुपचाप पाई पर बैठ गई। जैसे ही सौरभ ने भाई स्टार्ट करने की कोशिश की, यह बिना किसी दिक्कत के चल पड़ी। उसे यह थोड़ा अजीब लगा।

क्योंकि अभी कुछ मिनट पहले बाइक बिल्कुल नहीं चल रही थी। सौरभ भाई चलाने लगा, लेकिन उसे महसूस हुआ कि गोरी औरत का शरीर बहुत ठंडा था। इतनी ठंडी रात में भी उसकी सांसी बिल्कुल शांत थी। थोड़ी दूर जाने के बाद औरत ने कहा बस यही रौब दो। बेटा सौरभ ने बाइक रोक दी। पूरी औरत?    और बिना कुछ कहे धीरे धीरे एक घर की ओर बढ़ गई कर बहुत पुराना था और खिड़कियाँ टूटी हुई थी।

सौरभ को कुछ अजीब लगा, लेकिन उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अपने घर की ओर बढ़ गया। घर पहुँचकर सौरभ ने अपनी माँ को सब कुछ बताया माँ का चेहरा। अचानक सफ़ेद बढ़ गया, उसकी आँखों में भय झलकने लगा, बेटा, क्या तुम सच में उस औरत को लेकर आए थे? माँ की आवाज कांप रही थी। हाँ, माँ। लेकिन क्या हुआ माँ की आँखों में आंसू आ गए। उन्होंने कांपते हुए कहा, वह औरत कोई और नई तेरी दादी थी, जो 10 साल पहले मर चुकी है सौरभ के शरीर में।

सिर से लेके पैर तक छुर छुरी दौड़ गई मगर माँ वह बिलकुल असली थी। मैंने उन्हें बाइक पर बिठाया था। माँ ने सिर झुका लिया। शायद वह चाहती थी कि कोई उन्हें। घर तक छोड़ दे ताकि उनकी आत्मा मुक्त हो सके। सौरभ को यकीन नहीं हो रहा था। उसने फैसला किया कि वह खुद जाकर देखेगा कि यह सच है या फिर एक। वह अगली रात वह उसी रास्ते से दुबारा गुजरा। अंधेरे में कब्रिस्तान और डरावना लग रहा था। हवा में अजीब सी ठंडक थी और अंधकार में अजीब अजीब।

आवाजें गूंज रही थी। जैसे ही सौरभ कब्रिस्तान के पास उसकी बाइक फिर से बंद हो गई, वह कांपते हुए इधर उधर देखने लगा और फिर उसे वही बूढ़ी औरत दिखाई दी। सफेद साड़ी में बिना हिलते डुलते खड़ी हुई। इस बार सौरभ को ज्यादा डर लगा। उसकी सांसे तेज हो गई, लेकिन उसने हिम्मत जुटाकर कहा दादी पूरी औरत में। धीरे से उसकी ओर देखा और मुस्कराई। उसकी आँखों में आंसू थे। बेटा तुने मुझे मेरे घर तक पहुंचा दिया, अब मैं शांति से जा सकती हूँ इतना कहकर।

वह धीरे धीरे हवा में बली होने लगी। सौरभ के पैरों तले जमीन खिसक गई। उसने अपनी आँखों के सामने किसी को गायब होते देखा था। सौरभ भागने के लिए। मुड़ा ही था किया चाँद पीछे से किसी ने उसका हाथ पकड़ लिया। उसने घबराकर पीछे देखा। यह कोई बुरी औरत नहीं थी। यह एक हड्डियों का ढा जाता। सड़ी गली। चमड़ी के साथ सौरभ ने चोर से जीने की कोशिश की, लेकिन उसकी आवाज गले में ही अटक गई। वह पूरी ताकत से खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगा, लेकिन उसकी टांगें जैसे जमीन से।

चिपक गई हो हड्डियों वाला महबूब यह धीरे धीरे उसकी गर्दन की ओर बढ़ने लगा। उसकी उंगलियों में लंबे नौकिले नाखून थे जो चमक रहे थे। सो रखी आँखों के सामने अंधेरा छा गया। जैसे कोई उसकी आत्मा खींच रहा हो तब यहवा में जानी पहचानी आवाज़ गूंजी उसे     यह वही बूढ़ी औरत की आवाज थी। कब्रिस्तान के बीचों बीच वह सफे साड़ी में खड़ी थी, लेकिन इस बार उसका चेहरा रौशनी से चमक रहा था। हड्डियों का वह हाथ तुरंत। पीछे हट गया, एक काली छाया छीलती हुई, पीछे हटी और कब्रिस्तान के अंधेरे में गायब हो।

कहानी का निष्कर्ष (Conclusion):

सौरभ की इस रहस्यमयी और डरावनी घटना ने यह साबित कर दिया कि कभी-कभी आत्माएं भी अधूरी इच्छाओं के कारण इस दुनिया में भटकती रहती हैं। उसकी दादी की आत्मा शायद वर्षों से किसी अपने की बाट जोह रही थी, जो उन्हें उनके घर तक पहुँचा सके और उन्हें मुक्ति दिला सके। सौरभ ने अनजाने में ही यह काम कर दिया, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिली।

लेकिन इसी रास्ते पर एक दूसरी, बुरी आत्मा भी थी — एक अंधकारमय, भयावह शक्ति, जो शायद हर किसी को अपनी गिरफ्त में लेना चाहती थी। जब वह आत्मा सौरभ पर हमला करने वाली थी, तब उसकी दादी की आत्मा ने उसकी रक्षा की।

इस अनुभव ने सौरभ को यह सिखाया कि इस दुनिया में अच्छाई और बुराई दोनों शक्तियाँ मौजूद हैं। और कभी-कभी, अपने पूर्वजों की आत्माएं भी हमारी रक्षा करती हैं — बस हमें उन्हें पहचानना और उनका सम्मान करना होता है।

अब सौरभ के लिए यह सिर्फ एक डरावनी याद नहीं, बल्कि एक ऐसा अनुभव था जिसने उसे आत्मा, मुक्ति और परलोक की सच्चाई से रूबरू कराया।

 

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