New Scary Stories Stories Bina Aankhon Wali Aurat real horror stories New Scary Stories Series 23

Bina Aankhon Wali Aurat real horror stories New Scary Stories Series 23

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Bina Aankhon Wali Aurat real horror stories

रात के समय जब वह अपनी कार से हवेली के पास पहुंचा तो अचानक उसकी कार की हैडलाइट बंद हो गई। चारों तरफ। खाना अंधेरा था, हवा में एक अजीब सी सडान थी जैसे कोई चीज़ सर रही हो। उसने कार से उतरकर दौड़ चलाया और हवेली की ओर अड़ने लगा? हवेली के दरवाजों पर विशाल लोहे की जंजीरे थी लेकिन जैसे ही उसने उन्हें छुआ, दरवाज़ा खुद ब खुद चमकता हुआ खुल गया।

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अंदर घुसते ही उसे महसूस हुआ कि कोई उसे देख रहा है। दीवार पर लगी पुरानी चित्रों के चेहरे अजीब तरह से विकृत लग रहे क्नॉइस।   कमरे में टूटी फूटी कुर्सियां, ढोल से सजी मेज़ और दीमक लगी अलमारी भी अचानक एक हाल की हँसी की आवाज आई राहुल ने। डॉज कमाई तो देखा एक पुराना झूला हल्के हल्के हिल रहा था, लेकिन वहाँ कोई नहीं था राहुल के कदमों की आवाज़ के साथ साथ।

 

किसी और के कदमों की भी आवाज़ गूंज रही थी। उसने पीछे मुड़कर देखा लेकिन वहाँ कुछ नहीं था। अचानक उसे एक लड़की की तस्वीर दिखी जिसमें। आँखें खून जैसी लाल थी, तभी एक आवाज आई तुम यहाँ क्यों आये हो? राहुल का दिल तेजी से धड़कने लगा। उसने हिम्मत छूटाकर पूछा। कौन हो तुम? मैं वो हूँ जिसे इस हवेली ने निगल लिया, अब तुम्हारी भारी है। राहुल ने देखा तस्वीर में लड़की मुस्कुरा रही थी।

 

पसीने से लतपथ वह तेजी से दरवाजे की और भागा, लेकिन दरवाजा खुद वे खुद बंद हो गया। हवेली के दीवारें धीरे धीरे सेह होती जा रही।   राहुल ने मोबाइल निकाला, लेकिन नेटवर्क नहीं थे। तभी सीढ़ियों पर किसी के तेजी से उतरने की आवाज आई। उसने टॉर्च घुमाई। और जो उसने देखा उससे उसकी जी निकल गई। एक बिना आँखों वाली औरत उलटे पांव चलती हुई उसकी ओर आ रही थी उसके चेहरे पर।

 

नासूर भरे गाव दे और उसके होठों पर खून जमा हुआ था। वह हंस रही थी, लेकिन उसकी हँसी सुनकर लग रहा था कि मौत करीब आ रही है।  राहुल चीखते हुए एक कमरे में घुस गया और दरवाजा बंद कर लिया। अंदर चारों तरफ ताबूत रखे थे। एक दाबूत अचानक खुला और। उसमें से एक जला हुआ इंसानी कंकाल बाहर गिरा तभी पीछे से आवाज आई। अब तुम भी इन दाबू तो का हिस्सा बनने वाले हो?

 

राहुल ने दरवाजा खोला और भागने लगा। दबी वह और हवा में उतरती हुई उसके सामने आ गई। उसने राहुल के गले पर हाथ रखा। और ज़ोर से दबा दिया। राहुल की आंखें बाहर आने लगी। उसकी सांसे तेज हो गई। औरत की आवाज में एक गुंजती जो इस हवेली में आता है। वो कभी वापस नहीं जाता। राहुल की सांसे जैसे तैसे चल रही थी। उसकी आँखें आंधी बंद हो चुकी थी। उस औरत ने उसे घसीटते हुए।

 

हवेली के एक और कक्ष में खींच लिया। उसकी हँसी अब और भी तेज हो रही थी जैसे वह किसी भूतिया खेल का हिस्सा हो। राहुल ने। अपनी सारी ताकत जुटाई और अचानक औरत की पकड़ से बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन वह चुपके से हवा में उतरते हुए उसकी दिशा में आ गई।   तभी राहुल ने देखा कि उस अंधेरे कमरे के एक कोने में एक दर्पण रखा हुआ था। उसे अचानक उम्मीद की किरण दिखी अपनी हिम्मत जुटाते हुए।

 

उसने औरत को अपनी तरफ से हटाया और तेजी से उस दर्पण के पास भागा। दर्पण की सतह पर उसे कुछ अचीव सा दिखाई दिया। वह खुद नहीं। बल्कि उसका असली रूप उसकी छवि में कुछ गड़बड़ी थी जैसे उसकी आँखों से कोई काली छाया निकल रही हो। राहुल ने देखा कि दर्पण में जो कुछ भी था। वह उस औरत से जुड़ा हुआ था, तभी वह समझ पाया। यह हवेली सिर्फ एक पुरानी बिल्डिंग नहीं थी, बल्कि यह एक काले जादू का केंद्र था जो यहाँ।

 

आने वाले लोगों की आत्माओं को अपने में समाहित कर लेती थी। राहुल ने महसूस किया कि उसकी आत्मा भी अब उस औरत के साथ बन चुकी है, लेकिन। राहुल ने हार नहीं मानी। उसने अपने भीतर से एक अंतिम कोशिश की और वह मंत्र विचार करना शुरू किया जो उसने एक पुराने किताब में पढ़ा था। उसकी आवाज गहरी हो गई और हवेली में एक अजीब सी गूंज पैदा होने लगी। अचानक कमरे का वातावरण बदलने लगा, हवेली की दीवारें हिलने लगीं।

 

और वह औरत एक क्षण के लिए जैसे उसे कुछ समझ आ गया हो। राहुल ने अपनी आँखें बंद की और पूरी ताकत से मंत्र का उच्चारण। किया। औरत एक जोरदार चीख मारते हुए गायब हो गई और हवेली की दीवारें फिर से सामान्य हो गई।

कहानी का निष्कर्ष (Conclusion in Hindi):

राहुल की आंखें धीरे-धीरे खुलीं। चारों ओर सन्नाटा था, हवेली अब शांत हो चुकी थी। दर्पण अब साधारण दिख रहा था और उस पर कोई परछाईं नहीं थी। राहुल ने गहरी सांस ली, उसके शरीर से जैसे बोझ उतर गया हो। उसने दरवाजे की ओर देखा—जो अब खुला हुआ था।

वह लड़खड़ाते हुए बाहर निकला। हवेली के बाहर अब सुबह की हल्की रोशनी फैल चुकी थी। हवा में अब वह सड़ी हुई गंध नहीं थी, और वातावरण में एक अजीब सी शांति थी, जैसे किसी लंबे समय से बंधी आत्मा को मुक्ति मिल गई हो।

राहुल ने मुड़कर आख़िरी बार हवेली की ओर देखा। खिड़कियों पर जमी धूल और जाले अब भी वहाँ थे, लेकिन अब वह डरावना एहसास नहीं था। राहुल समझ गया था कि उसने सिर्फ अपने प्राण नहीं बचाए, बल्कि उस हवेली में फँसी आत्माओं को भी मुक्ति दी है।

वह चुपचाप अपनी कार की ओर बढ़ा, जो अब फिर से सामान्य रूप से काम कर रही थी। कार में बैठते ही उसने एक बार फिर हवेली की ओर देखा और धीरे-धीरे वहाँ से निकल पड़ा—सदियों पुरानी उस रहस्य और भय की गाथा को पीछे छोड़ते हुए।

लेकिन जाते-जाते एक बात उसके मन में हमेशा के लिए दर्ज हो गई—

“कुछ जगहें केवल देखने के लिए नहीं होतीं, वहाँ जाना आत्मा पर एक कर्ज छोड़ जाता है… जो या तो जीवन भर पीछा करता है या फिर हमेशा के लिए खामोश कर देता है।”

 

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