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Death’s Call Scary Stories

रात की ठंडी हवा खिड़की के पर्दों को धीरे-धीरे हिला रही थी। घड़ी मैं रात के 11बज रहे थे। राहुल और सनी दोनों एक ही कमरे में बैठकर मोबाइल पर गेम खेल रहे थे। बाहर हल्की बूंदाबांदी हो रही थी और माहौल पहले से भी थोड़ा अजीब सा लग रहा था। कमरे की ट्यूबलाइट हल्की-हल्की झिलमिला रही थी, मानो किसी भी पल बुझ जाएगी।तभी अचानक राहुल के मोबाइल पर एक अनजान नंबर से कॉल आया। स्क्रीन पर आता नंबर बिल्कुल अजीब सा था, जैसे कि एसा नंबर कभी देखा भी न हुआ हो—

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“000-666-000।” राहुल ने थोड़ी देर स्क्रीन को घूरा और फिर काँपते हाथों से कॉल रिसीव कर लिया ।“हैलो… कौन है?” राहुल ने धीरे से पूछा।दूसरी तरफ़ से गहरी, भारी और ठंडी आवाज़ आई—**तुम दोनों की मौत 3 बजे होगी… तैयार रहना।”**और बिना कुछ सुने, कॉल कट गया। राहुल आवाज़ सुनते ही कप उठा ।सनी ज़ोर से हँस पड़ा। “अरे, ये तो कोई प्रैंक है! शायद तेरे किसी दोस्त  ने मज़ाक किया होगा ।”राहुल ने हकलाते हुए कहा—“लेकिन… लेकिन ये नंबर देख, इतना अजीब है… और आवाज़… आवाज़ इंसान जैसी नहीं थी।”

घड़ी मैं अब 1:10 हो रहे थे। माहौल और भारी हो गया था । तभी अचानक ट्यूबलाइट तेज़ी से झिलमिलाने लगी  और पलक झपकते ही कमरे का दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया। दोनों चौंक गए। खिड़की से ठंडी हवा अंदर आने लगी और ऐसा लगा मानो किसी ने धीरे से फुसफुसाकर कहा—“शुरुआत हो गई है…”1:30 बजते ही फिर वही नंबर से कॉल आने लगी । राहुल ने इस बार सनी को रिसीव करने को कहा। सनी ने हँसते हुए कॉल उठाया—“कौन है बे, नाटक क्यों कर रहा है?”लेकिन इस बार भी वही भारी आवाज़ सुनाई दी—

**“पहला संकेत… तुम्हारे पीछे।”**

दोनों ने एकसाथ पलटकर देखा। कमरे में कोई नहीं था। लेकिन अचानक दीवार पर उनकी परछाइयाँ हिलने लगीं। परछाइयाँ मुस्कुरा रही थीं, जबकि दोनों के चहरो पर डर साफ़ दिख रहा  था।राहुल चीख पड़ा—“ये… ये कैसे हो सकता है?” सनी ने जैसे ही  कमरे की लाइट ऑन-ऑफ की। तभी कुछ पल के लिए परछाई सामान्य हो गई , लेकिन फिर से हल्की सी मुस्कान उभर आई। दोनों अब घबराई हुए थे।रात के एक पौने दो बजे फिर कॉल आया। इस बार आवाज़ पहले से ज़्यादा गहरी थी—

**“अब एक जाएगा… दूसरा देखेगा।”**

दोनों एक दम सहम गए। तभी खिड़की से किसी औरत की चीख़ सुनाई दी। सनी ने हिम्मत जुटाकर खिड़की खोली और झाँककर देखा।नीचे सड़क पर एक अजीब आकृति खड़ी थी। इंसान की तरह मगर उल्टा—पैर हवा में और हाथ ज़मीन पर। और  वो धीरा धीरा गर्दन घूमकर सीधे सनी को देखने लगी। उसकी आँखें सफ़ेद थीं और मुँह से काला धुआँ निकल रहा था।सनी ने तुरंत खिड़की बंद कर दी और ज़ोर से चिल्लाया—“राहुल, वहाँ कोई था… उल्टा खड़ा हुआ इंसान… और मुझे देख रहा था ”

राहुल का चेहरा पीला पड़ चुका था। उसने काँपते हुए घड़ी देखी—तो ।दो बज  रहे थे  कमरे का पुराना फ़ोन अचानक बज उठा। राहुल ने डरते हुए रिसीव किया। “ह-हैलो…”लेकिन दूसरी तरफ़ सिर्फ़ उसकी ही चीख़ सुनाई दी। ठीक वही चीख़ जो उसने कुछ देर पहले निकाली थी। राहुल ने फ़ोन पटक दिया और हाँफने लगा।अचानक कमरे की दीवारों पर लाल धब्बे उभर आए। वो धब्बे धीरे-धीरे शब्दों का रूप लेने लगे। उन पर लिखा था **“अपने को बचा लो अगर हिम्मत है तो ।”**सनी और राहुल दोनों पसीने से भीग चुके थे।

सनी ने गुस्से में मोबाइल उठा कर ज़मीन पर फेक दिया। स्क्रीन चकनाचूर हो गई। लेकिन जैसे ही दोनों ने नीचे देखा, टूटी हुई स्क्रीन पर वही नंबर चमक रहा था। अब घड़ी मैं 2:30 बज रहे थे। माहौल और भी भारी हो गया। कमरे में घुप्प अंधेरा छा गया, सिर्फ़ टूटी हुई स्क्रीन का हल्का नीला प्रकाश चमक रहा था।2:45 पर आख़िरी कॉल आया। दोनों हिम्मत करके कॉल को स्पीकर पर करके  सुनने लगे।आवाज़ हस्ती हुए बोली ।**“अब सिर्फ़ 15 मिनट बचे हैं। देखते है , कौन ज़िंदा बचेगा…”**तभी कमरे का दरवाज़ा चरमराया और धीरे-

धीरे खुल गया । बाहर कुछ नहीं था, सिर्फ़ गहरा अंधेरा। लेकिन उस अंधेरे से एक लंबी काली परछाई कमरे के अंदर घुस आई।राहुल ने काँपते हुए कहा—“ये… ये इंसान नहीं है।”परछाई धीरे-धीरे सनी के पास गई और उसका गला पकड़ लिया। सनी की आँखें पलट गईं। उसकी गर्दन से काले धुएँ की धारियाँ निकल रही थीं। उसकी आखे बंद हो गई  और अचानक ज़मीन पर गिर पड़ा।राहुल ने उसे बचाने की कोशिश की लेकिन उसके हाथों से होकर वो परछाई ऐसे निकल रही थी जैसे धुआँ। घड़ी मैं  ठीक 3 बजे और उसी समय सनी की साँसें थम गईं।

Conclusion 

राहुल की आँखों में डर, शोक और अविश्वास का मिलाजुला भाव था। सनी का शरीर उसके सामने गिरा हुआ था, एक निस्तेज और बेजान रूप में। वह पूरी तरह से समझ नहीं पा रहा था कि जो कुछ हुआ, वह सच था या वह किसी डरावनी ख्वाब का हिस्सा था। लेकिन उसकी साँसों में जो हलचल थी, वह साफ़ तौर पर एक सच्चाई की ओर इशारा कर रही थी—यह सब वास्तविक था।

सनी की मौत के साथ ही कमरे का माहौल और भी घना हो गया। वह काली परछाई, जो अब तक सनी के पास थी, धीरे-धीरे राहुल की ओर बढ़ने लगी। राहुल बुरी तरह काँप रहा था, लेकिन उसका शरीर न जाने क्यों जड़ हो गया था। जैसे ही वह परछाई उसके पास पहुँची, राहुल ने अपनी आँखें बंद कर लीं, और उस समय कुछ अजीब सा हुआ। वह परछाई अचानक हल्की हो गई, जैसे वह किसी और दुनिया की ओर जाने वाली हो। राहुल ने सिर उठाया, और देखा कि परछाई गायब हो चुकी थी। कमरे का वातावरण हल्का हो गया, जैसे कुछ गायब हो गया हो—जैसे सारा डर एक पल में उड़ गया हो।

राहुल ने फिर घड़ी की ओर देखा—वह 3:00 बजे का समय था। वह समझ चुका था कि वह बचे हुए थे, लेकिन इसका मतलब क्या था? उसने अपनी आँखें झपकाईं और तुरंत महसूस किया कि कमरे में कुछ अजीब था। उसे अब यह अहसास हो चुका था कि वह केवल एक खौ़फनाक रात से नहीं, बल्कि एक खौ़फनाक रहस्य से जूझ रहा था, जिसका शायद कोई अंत नहीं था।

वह धीरे-धीरे कमरे से बाहर निकलने की कोशिश करता है, लेकिन उसकी आवाज़ कहीं दूर से सुनाई देती है—“तुम दोनों से एक ही सवाल था, एक को बचाना था, लेकिन तुमने कुछ नहीं किया।”राहुल पलटकर देखता है, लेकिन कोई नहीं होता।”क्या हो रहा है?” वह बड़बड़ाता है, लेकिन उसकी आवाज़ हवा में खो जाती है।

घड़ी की सुइयाँ अब 3:05 का समय दिखा रही थीं, लेकिन राहुल जानता था कि समय अब सिर्फ़ एक भ्रम था। मौत का खेल ख़त्म हो चुका था, लेकिन सवाल ज़िंदा था—क्या वह भी अब सुरक्षित था, या वह भी उसी काले धुंए का हिस्सा बन चुका था, जो कभी उसकी आँखों में डर पैदा करता था?

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