Laxmii movie horror story
ये कहानी 17 साल के जिमी की है। जो कि दिवाली की छुट्टियां मनाने अपनी मौसी के घर कोची जा रहा था।जिमी का परिवार उसकी मौसी के गांव में घुसा ही था की जिमी को बहुत तेज प्यास लगी और उसके पापा ने साइड में एक दुकान पर गाड़ी रोक दी। वहाँ से थोड़ी ही दूर। जिमी के पापा को कुछ लोगों की भीड़ दिखी, वो आसपास खड़े लोगों से पूछने लगे की भीड़ क्यों लगी हुई है? कोई कुछ जवाब देता उससे पहले ही जिमी की नजर भीड़ के बीच में पड़ी एक औरत की लाश पर चली गई। उस लाश को देखते ही
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। जिमी को ऐसा लगा कि कोई परछाई उसे छूकर गुजरी तभी जिमी का ध्यान सड़क पर पड़ी उस औरत के सजने संवरने के सामान पर गया। उसने सबसे नजरें चुराते हुए वहाँ से कड़ा उठा लिया। इतनी देर में जिमी के पापा उसे बुलवाने लगेउसने जल्दी से वो कड़ा अपनी पॉकेट में रखा और वहाँ से चला गया। अपनी मौसी के घर पहुंचने के बाद जिमी सबसे थोड़ा अजीब अजीब सा बिहेव् करने लगा। उसके घरवालों को लगा कि वो सड़क पर उस लाश को देखकर बहुत डिस्टर्ब हो गया है पर जिमी का ध्यान अभी भी क्नॉइस।
उसके पास रखे उस कड़े पर था। वो अपने कमरे में शीशे के सामने उस कड़े को पहन के देखता और मुस्कुराता रहता। 1 दिन जब जिमी अपने कमरे में उस कड़े को पहने खड़ा था तो उसका मन किया कि वो पूरी तरह लड़की बन जाए। क्नॉइस वो अपनी कज़िन ऋचा के पास गया और उससे उसके सजने संवरने का सामान मांगने लगा। फिर जिमी अपनी मौसी के कमरे में गया और वहाँ से उनकी साड़ी और लिपस्टिक उठा के ले आया। वो तैयार हो ही रहा था कि जिमी के पापा उसके कमरे में आ गए। जिमी को देखते ही
उसके पापा उसे खूब डांटने लगे। जिमी ने रोते हुए कहा कि वो लड़की बनना चाहता है। ये सुनकर उसके पापा बेहद गुस्से में आ गए और उसे बुरी तरह पीटने लगे और उसका कमरा बाहर से बंद करके चले गए। जिमी अपने कमरे में बैठकर।ज़ोर ज़ोर से रोने लगा कि अचानक उसे दीवार पर एक लड़की की परछाई नजर आई। धीरे धीरे वो परछाई उसकी तरफ आने लगी। जिमी वो परछाई देखकर थोड़ा घबरा गया और कमरे का दरवाजा ज़ोर ज़ोर से पीटने लगा। पर किसी ने दरवाजा नहीं खोला। उसने मुड़कर देखा तो वहाँ कोई
नहीं था। फिर उसके बेड के नीचे से एक अजीब सी आवाज आने लगी मानो कोई जिमी को पुकार रहा हो जिमी ने। जैसे ही बेड के नीचे देखा वहाँ उसी औरत की लाश पड़ी थी जो उस दिन जिमी को सड़क पर दिखी थी। वो दिखने में बहुत डरावनी लग रही थी। वो औरत उसकी तरफ रेंगते हुए आई और जिमी में समा गई। जिमी वहीं बेहोश हो गया।अगले दिन से जिमी अजीब तरह से बिहेव करने लगा। वो अपनी मौसी की साड़ी पहने रहता, लड़कियों की तरह सच्चता और सर्वरता और सबको बोलता कि अब से उसका नाम
लक्ष्मी है। कभी एक पल वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाता और सारा घर सर पर उठा लेता क्नॉइस तो कभी कोई कोने में दुबक कर बैठ जाता और डरा सा सहमा हुआ रोता रहता। 1 दिन रोते रोते उसने अपनी माँ से कहा कि वो लक्ष्मी है और उसे हर जगह शैतान नजर आते हैं, जो उसे आकर मार देंगे। उसने कहा। कि उन शैतानों के पैर उलटे हैं, दांत खून से सने हुए हैं और लंबे लंबे नाखून है, जिनसे वो उस पर हमला करना चाहते हैं। जिम्मी की हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही थी लेकिन वो रोज़ लक्ष्मी बनकर सच्चता संवरता।
और अपना कमरा बंद करके नाचता रहता। उसके घरवाले समझ नहीं पा रहे थे कि उसके साथ क्या हुआ है और वो अपने आपको क्यों लक्ष्मी लक्ष्मी कहे जा रहा है। जिमी के पापा मदद के लिए आस पड़ोस में पूछने लगे। पता करने पर उन्हें मालूम पड़ा क्नॉइस। की वो लाश जो उन्होंने उस दिन सड़क पर देखी थी वो और किसी की नहीं बल्कि जोसेफ यानी लक्ष्मी की थी। जोसेफ एक लड़के से प्यार करता था और उसने अपना नाम बदलकर लक्ष्मी भी इसीलिए रखा था। वो दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते थे।
लेकिन जोसेफ के घरवालों को ये मंजूर नहीं था। उनके लिए ऐसा करना एक बहुत बड़ा सिन यानी पाप था और गांव में हो रही बदनामी की वजह से उन्होंने जोसेफ यानी लक्ष्मी को सबके सामने मौत के घाट उतार दिया। ये बात सुनकर।जिमी के पापा के रोंगटे खड़े हो गए। उन्हें जिमी के साथ अपने बर्ताव के लिए बहुत पछतावा हुआ। उन्हें समझ आ गया था कि उनके बेटे जिमी के शरीर में जरूर लक्ष्मी की आत्मा घूस गई है। वो जल्दी से पूरी बात बताने के लिए घर के लिए निकले लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी
थी। जिमी उस दिन भी अपना कमरा बंद करके नाच रहा था। क्या अचानक उसे लगा कि उसके दरवाजे पर शैतान उसे मारने आ गए हैं? वही शैतान जिनके पैर उल्टे थे। दांत खून से सने हुए और लंबे लंबे नाखून जिससे वो जिमी पर हमला कर रहे थे, जिमी घबराहट के मारे ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगा। उसके बाकी घरवाले जब तक वो दरवाजा तोड़ के अंदर घुसे, जिमी का शरीर पूरी तरह से।
अकड़ चुका था। वो तुरंत उसे हॉस्पिटल लेकर भागे। डॉक्टर ने बहुत कोशिश की और वो किसी तरह जिंदा बच गया। जब जिमी के
पापा ने सबको जोसेफ की कहानी बताई तब सभी परिवार वालों को जोसेफ के लिए बहुत दुख हुआ। उन्होंने जोसेफ के लिए प्रे किया। और जब उन्हें जिमी के पास वो कड़ा मिला तो उन्होंने वो भी जोसेफ की कब्र के साथ गढ़वा दिया। कुछ दिनों बाद जिमी बिल्कुल ठीक हो गया। आज उसे लक्ष्मी के बारे में कुछ भी याद नहीं, लेकिन लक्ष्मी की तरह कई ऐसे लोग हैं। जिनको गलत समझा जाता है और उन्हें उनकी चॉइस के लिए सोसाइटी का बहुत बुरा बर्ताव सहना पड़ता है। इन फॅक्ट कई लड़कों को लड़कों से प्यार
करने के लिए और कई लड़कियों को लड़कियों से प्यार करने के लिए हमारी सोसाइटी के पावरफुल लोग मार डालते हैं।ये कहानी भले ही एक काल्पनिक कहानी है लेकिन इस कहानी में एक बहुत इम्पोर्टेन्ट मैसेज छुपा है। सबको प्यार करने का हक है और हम सभी को हर इंसान के प्यार की रिस्पेक्ट करनी चाहिए। अगर आप हमारी बात से सहमत हैं तो कॉमेंट्स में जरूर लिखिए। और अब वक्त है दिवाली धमाके का खूनी मंडे और कॅश करो लाया है आपके लिए एक सुपर डूपर सरप्राइज़, लेकिन उससे पहले हम आपको
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**Conclusion (निष्कर्ष):**
जिमी और लक्ष्मी की यह कहानी एक भूतिया अनुभव के पीछे छिपे समाज की सच्चाई को उजागर करती है। भले ही यह कहानी काल्पनिक हो, लेकिन यह एक बेहद गहरी और जरूरी बात कहती है — कि हर किसी को अपने अस्तित्व और प्यार के अधिकार के साथ जीने की आज़ादी होनी चाहिए।
लक्ष्मी, जोसेफ का रूप थी, जिसे उसकी पहचान और प्यार के लिए अपने ही परिवार और समाज ने मौत के घाट उतार दिया। उसकी आत्मा ने जिमी के ज़रिए खुद को फिर से ज़िंदा महसूस किया, और दुनिया को बताया कि वह सिर्फ डरावनी आत्मा नहीं, बल्कि एक टूटा हुआ दिल था जिसे सिर्फ स्वीकृति और प्यार की तलाश थी।
जिमी का अनुभव यह बताता है कि समाज की बंद सोच और अस्वीकार्यता कितनी गहरी चोट पहुंचा सकती है। लेकिन अंत में, जब जिमी के परिवार ने सच्चाई को समझा, पछताया और प्रार्थना की, तो कहीं न कहीं एक राहत की किरण नज़र आई — एक बदलाव की शुरुआत।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि:
* हर इंसान को अपनी पहचान और प्यार चुनने का हक है।
* समाज को अपनी सोच को बदलना होगा और सभी को सम्मान देना होगा।
* प्यार, आत्मसम्मान और इंसानियत किसी भी रिवाज या सोच से बड़ा होता है।
**तो आइए, भले यह कहानी एक डरावनी शुरुआत से शुरू हुई हो, लेकिन इसका अंत एक संदेश के साथ होता है — कि अगर हम समझें, स्वीकारें और प्यार करें, तो शायद किसी लक्ष्मी की आत्मा को फिर कभी भटकना ना पड़े।**
**प्यार को प्यार रहने दो, नाम ना दो।**