Amavas Ki Raat | अमावस की रात ।Horror Mansion Story
लगभग आंधी रात हो चुकी थी और बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी। अपना काम खत्म करके मैं ऑफिस से निकलने लगा तो मुझे गार्ड भैया ने टोक दिया, अरे राजीव जी, इतनी रात तक आप यही है, घर नहीं है। हाँ वो कुछ एजेंट काम था इसीलिए देर हो गई। पर अब घर ही निकलूंगा, बेटा शायद आपको पता ना हो राजा की रात है, आज रात बाहर अकेले नहीं निकलो तो बेहतर होगा जाओ तो कल सुबह चले जाना, क्या बात कर रहे हो आप गार्ड भैया कल दोबारा ऑफिस भी तो आना होगा मुझे बेटा बात मानो मेरी आज रात अकेले मत जाओ। घर पर कुछ काम है भैया जाना तो पड़ेगा तो एक काम करो, कुछ दिन रुक जाओ, मेरी ड्यूटी खत्म हो जाएगी, फिर हम दोनों साथ निकल लेंगे। अरे भैया काफी लेट हो जाएगा मुझे और कल ऑफिस भी तो आना है, मैं निकलता हूँ आखिरी बस आती ही होगी, वो छूट गई तो दिक्कत हो जाएगी मुझे चलो गुड नाइट।
बेटा रुको देखो मैं जानता हूँ कि आप मुझसे ज्यादा पढ़े लिखे हो और आपको इन बातों पे ज्यादा भरोसा भी नहीं होगा पर फिर भी ये अपने साथ रख लो। ये क्या है? माता कंगार है मेरी पत्नी ने मुझे दिया था इसे अपने साथ रख लो। ये आपकी रक्षा करेगा। अरे भैया क्या अभी बेटा बात मानो और इसे बस अपने पास रख लो ठीक है लाओ मैंने वो पोटली अपने जेब में रख ली और वहाँ से निकल गया। बारिश बहुत ज्यादा होने के कारण आसपास कोई भी नहीं दिख रहा था तो मैं वहीं खड़ा खड़ा। बस का इंतजार करने लगा। रह रहकर बादल बहुत ज़ोर से गरज रहे थे और मुझे आसपास मेरे अलावा कोई दिख भी नहीं रहा था। कुछ देर वहाँ खड़े रहने के बाद मुझे अंदाजा हो गया कि शायद आखिरी बस भी निकल चुकी है। तभी अपनी दाईं ओर पर मुझे एक आदमी दिखा अंधेरा ज्यादा होने के कारण।
उसका चेहरा तो ठीक से नहीं दिख रहा था पर उसे देखकर ऐसा ही लगा कि वो इसी बस स्टॉप की तरफ आने वाला है। मैंने इस बार अपनी गर्दन बायीं तरफ मोड़ी पर पूरी सड़क सुनसान थी। मैंने दुबारा उस आदमी की तरफ देखा पर वहाँ पर अब कोई भी नहीं था। मुझे ये बात काफी अजीब लगी। क्योंकि अभी थोड़ी देर पहले मैंने वहाँ पर किसी को देखा था। मैं इस बात को समझने की कोशिश कर ही रहा था कि मुझे उस तरफ से एक कैब आती हुई दिखी तो मैंने कैब को रोकने के लिए इशारा किया पर वो कैब मुझसे आगे निकल गई तो मैं हताश होकर दोबारा उस तरफ देखने लगा। पर तभी। मुझे अपने पीछे गाड़ी के ब्रेक की आवाज सुनाई पड़ी, पलट कर देखा तो वो कैब रुक चुकी थी। मुझे लगा चलो अच्छा है कुछ तो मिला मैंने एक बार फिर पीछे की ओर देखा कि कहीं वो आदमी वहीं तो नहीं है जो मुझे कुछ देर पहले दिखा था पर वहाँ कोई नहीं था।
तो मैं कैब में जाकर बैठ गया और ड्राइवर को अपना एड्रेस बता दिया। एसबीआइ कॉलोनी भैया कैब चल दी। गाड़ी थोड़ी ही दूर आगे बढ़ी थी कि मैंने ड्राइवर को पूछा अरे भैया ये आते हुए कोई आदमी देखा था क्या? उसने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया तो मैंने दोबारा पूछा भैया। नहीं देखा अच्छा अजीब है कुछ देर पहले मैंने किसी को देखा तो था पता नहीं कहाँ गायब हो गया वो ड्राइवर कुछ देर गाड़ी चलाता रहा और फिर बोला आज हम बस की रात है, हाँ, क्या मतलब? अमावस की रात को अक्सर ऐसे भटकते हुए साए दिख जाते हैं। हाँ ये क्या बाते कर रहे हो ये बकवास की चीज़े मैं नहीं मानता हूँ ठीक है, उलटे पुलटे लॉजिक्स मत दो मुझे कहते हैं ऐसे साए।
हर अमावस की रात को अपना शिकार ढूंढ़ते हैं हैलो क्यों बता रहे हो मुझे ये सब कहाँ नहीं जानना है मुझे कुछ और अगर किसी इंसान की नजर इन सयों पर पड़ जाती है यार स्टॉप इट समझ नहीं आ रहा है क्या तुम्हें? दोस्त की मौत तय हो जाती है। अरे तुम पागल वागल हो क्या? गाडी रखो यार मुझे नहीं जाना है कहीं जैसे आज तुम्हारी मौत तय है व्हाट, नॉनसेंस तुम्हारा दिमाग फिर गया है क्या लिसन गाडी रखो। मुझे नहीं जाना है। कहीं भी जस्ट स्टॉप दी कॅब पर मेरी बातों का मानो उस पर कोई असर ही नहीं हुआ। उसने गाडी नहीं रोकी तो मैंने उससे दुबारा कहा, मेरी बात समझ नहीं आ रही है क्या गाडी रोको चुपचाप अपनी बायीं तरफ देखो, सब समझ आ जाएगा। अरे व्हाट ब्य युअर? सड़क पर देखो, उसके बोलने पर जब मैंने अपनी गर्दन सड़क की और मुड़ी तो मुझे वहाँ एक आदमी खड़ा दिखा कपड़ों से, वो भी कोई कैब ड्राइवर ही लग रहा था और अंधेरे के कारण उसका चेहरा ठीक से दिख भी नहीं रहा था। क्नॉइस।
मुझे समझ नहीं आया कि आखिर ड्राइवर ने मुझे बाईं और देखने को क्यों बोला तो मैंने गर्दन वापस सीधी की और ड्राइवर की और देखा पर सामने का नजारा देख के मेरे होश उड़ गए। वो ड्राइवर अपनी सीट से गायब हो चुका था और गाड़ी अपने आप चली जा रही थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर हो क्या रहा है? क्नॉइस। तभी गाड़ी में ज़ोर का ब्रेक लगा आह और मेरा सर सीट पर जा भिड़ा। मैंने आँखें खोली तो देखा कि वो ड्राइवर पीछे मुड़कर मुझे ही देख रहा है और फिर उसने मुझसे कहा, साहब क्या हुआ आप ठीक हो न क्या? तुम कहाँ से आए कहाँ से आया? मतलब तुम तुम अभी तो गाडी में नहीं थे और और गाडी अपने आप चल रही थी क्या बोल रहे हो साहब होश में तो हो देखो पागल मत बनाओ मुझे अभी थोड़ी देर पहले तुमने ही कहा कि आज मेरी मौत तय है और फिर तुम गाडी से गायब हो गए कैसी बातें कर रहे हो साहब?
भला मैं आपसे ये सब क्यों कहूंगा? छोड़ो रहने दो पक्का आपने कुछ नशा किया है, आपकी सोसाइटी आ गई है, मेरा भाड़ा दो और जाओ उस ड्राइवर की बात पर मुझे अब भी यकीन नहीं हो रहा था। मेरा मन ये मानने को बिलकुल तैयार नहीं था की जो मेरे साथ हुआ वो मेरा कोई वहम था। पर मैंने बात ज्यादा नहीं बड़ाई। और कैब से बाहर निकल गया। अगली सुबह डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए मुझे अपनी जेब से वह माता के अंगार वाली पोटली मिली। पर अब उस पोटली का रंग काला हो चुका था। मुझे यह बात काफी अजीब लगी क्योंकि कल रात तो उसका रंग लाल था, तभी मुझे मेरे एक ऑफिस कोलीग का फ़ोन आया, हैलो? कहाँ पर हैं? घर पर हूँ, ऑफिस के लिए निकलने वाला हूँ क्यों? हाँ तो ऑफिस आते हुए पुरानी फॅक्टरी वाला रास्ता लेकर शमशान आ जाना, शमशान क्यों? अरे वो गार्ड भैया थे ना? हाँ कल रात एक अक्सीडेंट में उनकी डेथ हो गई व्हाट? हाँ, शायद किसी कैब ने टक्कर मार दी। एनीवे तू जल्दी से आजा।
अपने कोलीग की बात सुनकर मेरे होश उड़ गए। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि ऐसा कैसे हो सकता है। तभी मेरी नजर वापस से उस पोटली पर गई जो गार्ड भैया ने मुझे दी थी और मेरी आँखों के सामने सब कुछ साफ हो गया। मैं समझ गया कि अगर उस रात मेरे पास वो पोटली नहीं होती तो आज। मैं जिंदा नहीं होता।
निष्कर्ष (Conclusions):
- अंधविश्वास और आस्था में एक महीन रेखा होती है, जिसे हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। इस कहानी में राजीव ने गार्ड भैया की बातों को पहले हल्के में लिया, लेकिन बाद में वही छोटी-सी “माता की पोटली” उसकी जान बचा गई।
- परंपराओं और बुजुर्गों की बातों को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जाना चाहिए। गार्ड भैया ने अनुभव और विश्वास के आधार पर चेतावनी दी थी, जो बाद में सच साबित हुई।
- रात और अकेलापन कई बार डरावने अनुभवों को जन्म दे सकते हैं। कहानी में रात, बारिश और सुनसान माहौल ने डर को और भी गहरा बना दिया।
- हमें हमेशा सावधान और सतर्क रहना चाहिए, खासकर ऐसी रहस्यमयी रातों में। क्योंकि खतरा सिर्फ दिखने वाला नहीं होता, कई बार वह छुपा हुआ होता है।
- जीवन और मृत्यु के बीच एक अनदेखा संतुलन होता है, और कभी-कभी कोई छोटी-सी चीज़—जैसे गार्ड की दी हुई पोटली—इस संतुलन को हमारे पक्ष में झुका सकती है।
- कभी-कभी जिनकी हम कद्र नहीं करते, वही हमारी रक्षा करते हैं। गार्ड भैया जैसे साधारण इंसान की चेतावनी और भेंट ने राजीव की जान बचाई, जबकि वे खुद नहीं बच पाए।